धान की खेती | Paddy farming

दोस्तो आज के इस लेख में मैं आपको धान की खेती करने के वारे में सम्पूर्ण जानकारी step by step बताऊंगा की खेती में कोन से धान के उन्नत किस्म को लगाने चाहिए, धान की बुआई के लिए खेत को कैसे तैयार करनी चाहिए, धान के बीज की मात्रा क्या होनी चाहिए, धान की बुआई कब करनी चाहिए, धान के फसल में सिंचाई कितनी करनी चाहिए, धान के फसल से रोग और खरपतवार को कैसे दूर करनी चाहिए सारी चीजे प्रैक्टिकली बताऊंगा।

:- धान की खेती बुआई से लेकर भण्डारण तक सम्पूर्ण जानकारी  

धान एक मुख्य खाद्य फसल है। भारत में धान की खेती मक्के के बाद दूसरे स्थान पर किया जाता है जिसे करोड़ो किसान भाई लगभग लगभग पुरे भारत में धान की खेती करते है। चीन के बाद सबसे जायदा धान उत्पादन में भारत विश्व में दूसरे नंबर पे आता है।  धान खरीफ मौसम की प्रमुख फसल है। अगर ध्यान दिया जाये तो किसान भाई को धान के खेती से बहुत अच्छा मुनाफा प्राप्त होता है। 
धान की अच्छी उपज के लिए बीजों का अच्छा होना बहुत जरुरी होता है। कई वार ऐसा होता है की किसान भाई महंगे महंगे बीज और खाद तो लगा लेते है लेकिन सही उपज नहीं हो पाता है ।इसलिए बुआई से पहले अपने बीज और खेत का उपचार अच्छी तरह कर लेना चाहिए । आपका बीज महंगा या फिर सस्ता हो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन आपका बीज आपके क्षेत्र के मिट्टी और जलवायु के मुताबिक होना जरुरी है। क्योंकि धान के खेती के लिए भारत के अलग अलग राज्यों में मौसम अलग अलग होने के कारण हर जगह के लिए अलग अलग धान के बीज विकसित  किये गए है। इसलिए किसान भाइयों को अपने जगह के हिसाब के बीज से खेती करना चाहिए। 

:- धान के बीज की किस्मे 

धान के कुछ ऐसे भी किस्में है जिससे फसल 120 दिन में पूरी तरह तैयार हो जाता है।
  • पूसा – 1460
  • पूसा सुगंध – 3
  • पूसा सुगंध – 4
  • W.G.L. – 32100 
  • I.R. – 64 , I.R. – 36
  • DRR धान 310
  • DRR धान 45 
  • M.T.U. – 1010 
इसके अलावा भी विभिन्न मिट्टी और जलवायु में फसल तैयार होने वाला बीज के किस्में इस प्रकार है।  

:- असिंचित दशा में तैयार होने वाले फसल के बीजों की किस्में 

  • नरेन्द्र लालमनी 
  • नरेन्द्र-97,
  • साकेत-4,
  • शुष्क सम्राट,
  • नरेन्द्र-118,
  • साकेत-4, 
  • बरानी दीप,

धान की खेती | Paddy farming


:- सिंचित दशा में तैयार होने वाले फसल के बीजों की किस्में 

  • मालवीय धान-3022,
  • पूसा-169,
  • नरेन्द्र धान-2065 
  • नरेन्द्र-80,
  • पंत धान-12,

:- मध्यम में पकने वाले फसल के बीजों की किस्में 

  • पंत धान-4,
  • पूसा-44,
  • पीएनआर-381, 
  • सरजू-52,
  • नरेन्द्र-359,
  • नरेन्द्र धान-2064,
  • नरेन्द्र-2064,
  • धान-10,

:- ऊसरीली भूमि में तैयार होने वाले फसल के बीजों की किस्में   

  • नरेन्द्र धान-5050,
  • नरेन्द्र ऊसर धान-2009, 
  • नरेन्द्र ऊसर धान-2008,
  • नरेन्द्र ऊसर धान-3,

:- धान को बोने के लिए खेत को कैसे तैयार करे 

धान को बोने से पहले खेत को अच्छे से 2 से 3 वार गहराई से जुताई करना अच्छा होता है जिससे पहले वाले फसल के अवशेष बहार निकल जाये। और खेत में पानी भड़ दे, पानी भड़ने के बाद मेड को अच्छे से बना लेना चाहिए जिससे बारिश का पानी खेत में जयदा समय तक जमा रह सके   

:- धान के बीज की मात्रा और बुआई का समय और तरीका 

धान की सीधी बुआई करने के लिए बीजों की मात्रा 45 से 55kg(किलोग्राम) बीज पार्टी हेक्टेयर तक बुआई करना चाहिए और धान की रोपाई के लिए बीजों की मात्रा 32 से 36kg(किलोग्राम) पौधा तैयार करने के लिए काफी है।  नर्सरी डालने से पहले बीजों को शुद्ध करना बहुत महत्बपूर्ण होता है इसलिए 25kg(किलोग्राम) बीज के लिए 4g(ग्राम) स्ट्रेपटोसईक्लीन और 75g(ग्राम) थीरम से बीज को अच्छे से शुद्ध करके बुआई करना चाहिए। 

किसान भाई ने धान की सीधी बुआई को बहुत ज्यादा लोकप्रिय मानते है। इससे किसान भाई को बहुत जायदा लाभ होता है लेकिन इस तरह से बुआई समय पर करना बहुत जरुरी होता है। इस लिए मानसून start होने के 1 या 2 सप्ताह पहले से मतलब जून के बिच तक बुआई कर लेना बहुत जरुरी होता है। 

धान की खेती | Paddy farming

:- धान के खेत में उर्बरक (खाद) की मात्रा 

धान के अच्छे पैदावार के लिए उर्बरक का सही मात्रा होता बहुत जायदा जरुरी होता है। धान की रोपाई के बाद उर्बरक का सही मात्रा में उपयोग करने से पैदावार में बहुत लाभ होता है।  किसान भाई अपने फसल की उत्पादकता को बढ़ने के लिए DAP 120-130kg(किलोग्राम), यूरिया 42kg(किलोग्राम), MOP 75kg(किलोग्राम), 26kg(किलोग्राम) जिंक प्रति हेक्टर (चार बीघा) की दर से रोपाई के समय और यूरिया की 60-80kg(किलोग्राम) का मात्रा रोपाई के 3 से 4 सप्ताह के बाद प्रति हेक्टेयर के हिसाब से ही अपने खेत में परियोग करना चाहिए। 

:- धान के फसल में सिंचाई

धान के फसल में अत्यधिक सिंचाई की आवस्यकता होती है इसलिए खेतों में फसल के बीज की बुआई के तुरंत बाद ही फसल की बुआई कर देना चाहिए। धान के रोपाई से लेकर फसल में दाना भड़ने तक फसल को पानी नियमित रूप से मिलती रहनी चाहिए इसलिए बांध बना कर पानी भड़ दें जिससे पौधे को पानी मिलते रहे। 

:- धान के फसल में लगने वाले रोग, किट और खरपतवार 

धान के फसल में कई तरह के किट रोग होते है ये किट रोग फसल के लगाने के तरीके पर निर्भर करता है।  इसलिए समय समय पर कीटनाशक दवाइयों का छिरकाव करना जरुरी होता है 
धान में लगने वाले प्रमुख किट 
  • पत्ती लपेटक
  • गन्धी बग
  • तना बेधक
  • हरा फुदका
  • पत्ती लपेटक
  • हिस्पा
  • बंका कीट
  • सैनिक कीट
  • भूरा फुदका
  • गन्धी बग
  • दीमक
  • नरई कीट
  • जड़ की सूड़ी

:- धान में लगने वाले प्रमुख रोग 

  • भूरा धब्बा
  • जीवाणु झुलसा
  • शीथ ब्लाइट
  • मिथ्य कण्डुआ
  • सफेदा रोग
  • जीवाणु धारी
  • खैरा रोग
  • झोंका रोग
इन रोग से बचने के लिए किसान भाई को 15 से 20 लीटर पानी में 2 से 3 kg(किलोग्राम) नमक को मिला कर घोल बना ले और इस घोल में सबसे पहले एक कच्चा आलू या फिर एक कच्चा अंडा को दाल कर देखे अगर अंडा या फिर आलू पानी में तैरने लगे तो समझ लीजियेगा की घोल तैयार हो गया अब इस घोल में थोड़ा थोड़ा धान के बीज को डाले जो बीज नमक पानी के घोल में तैरने लगे तो उस बीज को निकल दे याद रखे ये वही बीज है जिससे आपके फसल में रोग होने का सम्भाबना बना रहता है और जो बीज निचे बैठ जाता है तो उस बीज को 2 से 3 वार तक उस घोल से धो ले।  अब ये बीज को आप अपने खेतों में लगा सकते है। जिससे आपके फसल में रोग होने का खतरा बहुत काम हो जाता है।
धान की खेती | Paddy farming

:- धान में लगने वाले प्रमुख खरपतवार

  • होरा घास
  • बुलरस
  • छतरीदार मोथा
  • सांवकी
  • बिलुआ कंजा
  • मिर्च बूटी
  • फूल बूटी
  • पान पत्ती
  • बोन झलोकिया
  • सांवा
  • बूटी
  • मकरा
  • कांजी
  • गन्ध वाला मोथा
  • बमभोली
  • घारिला
  • दादमारी
  • पानी की बरसीम
  • साथिया
  • कुसल
ये खरपतवार को नस्ट करने के लिए आपको अपने खेत में समय समय पर दवाई का छिरकाव करने से खरपतवार में बहुत कमी आता है जिससे आपके फसल पे ज्यादा परभाव नहीं पड़ता है

:- धान का भण्डारण और कमाई

धान की खेती | Paddy farming

धान का भण्डारण करने से पहले धान के फसल को काट करके 2 से 3 दिनों के लिए खेत में छोड़ से जिससे कटा हुआ फसल अच्छे से सुख जाता है इसके बाद गहाई अच्छे से होता है। फिर धान को 1 से 2 दिन तक धुप में सूखा कर भण्डारण कर सकते है लेकिन भण्डारण करने से पहले ये याद रखे की धान के दाने में 12 से 16 फीसद से कम नमी होना चाहिए।

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