मूली की खेती | Radish farming । मूली की हिंदी में। Radish Farming in Hindi । मूली की खेती से कमाई

दोस्तो आज के इस लेख में मैं आपको मूली की खेती करने के वारे में सम्पूर्ण जानकारी step by step बताऊंगा की खेती में कोन से मूली के उन्नत किस्म को लगाने चाहिए, मूली की बुआई के लिए खेत को कैसे तैयार करनी चाहिए, मूली के बीज की मात्रा क्या होनी चाहिए, मूली की बुआई कब करनी चाहिए, मूली के फसल में सिंचाई कितनी करनी चाहिए, मूली के फसल से रोग और खरपतवार को कैसे दूर करनी चाहिए सारी चीजे प्रैक्टिकली बताऊंगा |

मूली की खेती | Radish farming

मूली की खेती कैसे करें:-
मूली की खेती अधिकतर कच्चे सब्जी के रूप में करने के लिए उपजाया जाता है। मूली का सेवन करने से पेट से संबंधित समस्या से छुटकारा मिलता है। ऐसे मूली अधिकतर स्लाद के रूप में किया जाता है। मूली की खेती काम समय और काम लागत में अधिक उपज देता है। मूली का फसल दो महीने में पक कर तैयार हो जाता है, जिससे किसान भाई एक सीजन में दो वार मूली की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा लेते है। किसान भाई मूली की खेती सरसों, गन्ना, मेथी, जो, आलु और गेहूं के साथ आसानी से कर सकते है। अगर आप भी मूली की खेती करना चाहते है तो इस लेख में मूली की खेती से संबंधित सम्पूर्ण जानकारी आपको मिलेगी।

:- मूली की खेती योग मिट्टी, जलवायु और तापमान 

मूली के खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है। इसकी खेती के लिए मिट्टी का P.H. मान 6 से 8 तक होना चाहिए।  इसलिए ठंडी का मौसम मूली के फसल के लिए बहुत अच्छा होता है। मूली का पौधा सर्दियों में गिरने वाले पाले को आसानी से सहज कर पता है लेकिन गर्मियों के मौसम 
पौधे में अच्छे से विकास नहीं हो पाता है। मूली के बीजों का अंकुरण के लिए 20 से 25 डिग्री तापमान और पौधे के विकास के लिए 15 से 20 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है। मूली के पौधे कम से कम 5 डिग्री और जायदा से जुड़ा 25 डिग्री तक के तापमान को ही सहन कर सकते हैं।

:- मूली की प्रमुख किस्में

  • जापानी सफ़ेद
  • हिसार न. 1
  • रेपिड रेड व्हाइट टिप्ड

मूली की खेती | Radish farming

:- जापानी सफ़ेद

इस तरह के मूली के किस्मों को पूरी तरह तैयार होने में 60 से 65 दिन का समय लगता है। यह पौधे 1 फिट तक लंबा होता है और यह स्वाद में काम तीखा होता है। इस तरह के किस्मों से एक हेक्टेयर से 200 से 300 क्विंटल तक उपजाया जाता है।

:- हिसार न. 1

इस तरह के मूली के किस्मों को भारत के उत्तरी मैदानी क्षेत्रों में उपजाया जाता है। यह पौधा 1 फिट तक लम्बा होता है जिसका बाहरी छिलका उजला और चिकना होता है। इस तरह के किस्मों की मूली स्वाद में मीठापन पाया जाता है। इस पौधे को पूरी तरह तैयार होने में 60 से 70 दिन का समय लगता है जिससे प्रति हेक्टेयर से 250 से 300 क्विंटल तक उपजाया जाता है।

:- रेपिड रेड व्हाइट टिप्ड

इस तरह के मूली के किस्मों को पूरी तरह तैयार होने में 25 से 30 दिनों का समय लगता है। यह अधिक पैदावार देने वाला किस्म है। जिसकी लंबाई 1 फिट से अधिक होती है और इसका रंग सफ़ेद और हल्का लाल होता है। रेपिड रेड व्हाइट टिप्ड के किस्मों को एक ही मौसम में 3 से 4 वार तक उपजाया जाता है।

:- मूली की खेती करने के लिए खेत की तैयारी 

मूली की बुआई के लिए सबसे पहले मिट्टी पलटने वाले हल की मदद से खेत की गहरी जुताई कर देनी चाहिए। जिससे पहले के फसल के अवशेष नष्ट हो जाते है। इसके बाद खेत में प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 12 से 15 गाड़ी प्राकृतिक खाद के रूप में गोबर को डाल कर कल्टीवेटर के मदद से 2 से 3 तिरछी जुताई करके मिट्टी में खाद की अच्छी तरह मिला कर खेत पे पानी डाल कर छोड़ दें। जब खेत के उपर की मिट्टी सुखी दिखाई देने लगे तब रोटावेटर से खेत की जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा बना लिया जाता हैं। फिर पाटा की मदद से खेत को समतल बना लिया जाता है। मूली की बुआई मेड़ पर किया जाता है इसलिए खेत समतल होने के बाद एक से डेढ़ फ़िट की दूरी रखते हुए मेड़ो को तैयार कर लिया जाता है
मूली की खेती | Radish farming

:- मूली की खेती करने के लिए उर्वरक की मात्रा

खेत की अखरी जुताई के बाद 50 KG सुपर फास्फेट, 90 KG पोटाश और 100 KG नाइट्रोजन की मात्रा प्रति हेक्टेयर के हिसाब से रसायनिक खाद को दिया जाता है। और मूली की बुआई के 20 से 22 दिन के बाद 20 KG यूरिया खाद की मात्रा को फसल में दिया जाता है।

:- मूली की खेती करने के लिए बीजों की रोपाई का सही तरीका 

मूली की खेती सामान्यता समतल और मेड़ दोनो प्रकार के जमीन में की जाती है। समतल जमीन में मूली की रोपाई करने के लिए ड्रिल का इस्तमाल कर के बीजों की रोपाई की जाती है। मेड़ वाली जमीन में मूली की रोपाई के लिए हाथ का प्रयोग कर के रोपाई की जाती है जिसमे बीजों के बीच 4 से 5 cm की दूरी अवश्यक होता है। ऐसे बहुत सारे किसान भाई बीजों का चिरकाव करके भी मूली को रोपते है, इसमें सबसे पहले बीज को पूरे खेत में छींट देते है  और कल्टीवेटर की मदद से 2 से 3 वार जुताई कर देते है जिससे बीज 4 से 5cm तक जमीन के नीचे दब जाता है। इस तरह मूली की खेती पूरे साल की जाती है ऐसे सर्दियों के मौसम में इस तरह खेती करने से अधिक उपज प्राप्त होता है।

:- मूली की खेती करने के लिए खेत की सिंचाई

मूली के खेत में पहली सिंचाई बीज के रोपाई के तुरंत बाद ही कर दी जाती हैं जिससे अंकुरण बहुत अच्छे से होता है। गर्मियों के मौसम में मूली में 3 से 4 वार सिंचाई की आवश्यकता होती है और बरसात के मौसम में जरूरत के हिसाब से सिंचाई की जाती है।

:- मूली की खेती करने के लिए खरपतवार नियंत्रण 

मूली के फसल से खरपतवार नियंत्रण के लिए रसायनिक और प्राकृतिक दोनो तरीकों का उपयोग किया जाता है। रसायनिक तरीके से खरपतवार नियंत्रण के लिए आपको पेन्डीमिथालिन का छिड़काव सही मात्रा में बीजों की रोपाई के बाद की जाती है। प्राकृतिक तरीका से खरपतवार नियंत्रण के लिए पौधे में केबल दो गुड़ाई की आवश्यकता होती है। पहली गुड़ाई बीज के रोपाई के 20 दिन बाद की जाती है और दूसरी गुड़ाई 15 से 18 दिन के बाद की जाती है। 

:- मूली के पौधे में लगने वाले प्रमुख रोग 

मूली की खेती | Radish farming
  • माहु रोग
  • काली भुंडी का रोग
  • झुलसा रोग
  • बालदार सुंडी
इन रोगों से फसल के बचाव के लिए रोग की पहचान करके समय समय पे दवाई का छिरकाव किया जाता है।

:- मूली की खुदाई, उपज और लाभ

मूली के बीज की रोपाई के दो महीने बाद फसल पूरी तरह तैयार उपज देने के लिए तैयार हो जाता है जिसे खोद कर जमीन से निकल लिया जाता है। और मूली की अच्छी तरह सफ़ाई करके बाजार में भेज दिया जाता है। बाजार में मूली का भी गुणवत्ता के हिसाब से 4 से 5 रूपए तक होता है। और प्रति हेक्टेयर से कम से कम 250 से 300 क्विंटल तक उपजाया जाता है। जिससे किसान भाई एक वार की फसल से 70 से 75 हजार तक आसानी से कमा सकते है।

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