मिर्च की खेती | chilli cultivation | मिर्च की खेती से लाभ | मिर्च की खेती कैसे करे

दोस्तो आज के इस लेख में मैं आपको मिर्च की खेती करने के वारे में सम्पूर्ण जानकारी step by step बताऊंगा की खेती में कोन से मिर्च की उन्नत किस्मे को लगाने चाहिए, मिर्च की बुआई के लिए खेत को कैसे तैयार करनी चाहिए, मिर्च के बीज की मात्रा क्या होनी चाहिए, मिर्च की बुआई कब करनी चाहिए, मिर्च के फसल की सिंचाई कितनी करनी चाहिए, मिर्च के फसल से रोग और खरपतवार को कैसे दूर करनी चाहिए सारी चीजे प्रैक्टिकली बताऊंगा।

मिर्च की खेती | chilli cultivation | मिर्च की खेती से लाभ | मिर्च की खेती कैसे करे

मिर्च की खेती कैसे करे?

मिर्च की खेती को मसाला के रूप में इस्तमाल करने के लिए किया जाता है। मिर्च को ताजा, सुखा और पाउडर के रूप में उपयोग किया जाता है। सब्जी बनाने में भी मिर्च का बहुत बड़ा महत्त्व है। क्योंकि बिना मिर्च के कोई भी सब्जी में स्वाद नहीं आता है और फीका लगता है। मिर्च में कैप्सेइसिन नामक रसायन पाया जाता है जो स्वाद को तीखा बना देता है।मिर्च में फॉस्फोरस, कैल्सियम, विटामिन ए, सी, के जैसे पोषक तत्व पाया जाता है जो हमारे शरीर के लिए बहुत लाभदायक होता है। हमारे देश में  हरी मिर्च को सलाद और सब्जी, शिमला मिर्च की सब्जी, हरी मिर्च को सलाद और सब्जी, लाल मोटी मिर्च को अचार और सूखी लाल मिर्च को मसाले के रूप में सब्जी में इस्तेमाल किया जाता है। इस तरह के मिर्च के प्रजाति की खेती किसान भाई आसानी से कर सकते है। लेकिन हरी मिर्च को खेती करने से किसान भाई को अच्छा उपज मिलता है। हमारे भारत में हरी मिर्च की खेती उड़ीसा, राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु जैसे राज्यों में अधिक की जाती है। अगर आप भी मिर्च की खेती करने के वारे में सोच रहे है तो इस लेख से आपको खेती से संबंधित सम्पूर्ण जानकारी मिलेंगी।

मिर्च की खेती करने योग उपयुक्त मिट्टी, जलवायु और तापमान

मिर्च की खेती करने के लिए काली दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है। और जल निकासी वाली मिट्टी के जरूरत होती है नहीं तो जलभराव के कारण पौधे में रोग लगने की सम्भावना बनी रहती है। और उपज में भी अधिक प्रभाव पड़ता है। मिर्च की खेती करने के लिए भूमि का P.H. मान 4 से 7 के बीच होना चाहिए।

मिर्च की खेती को किसी भी जलवायु में की जाती है लेकिन आद्र शुष्क जलवायु में मिर्च की खेती करना उचित माना जाता है। मिर्ची के फसल के लिए अधिक गर्मी और अधिक सर्दी बहुत हानिकारक होता है।

मिर्च के बीज को अंकुरित और पौधे के वृद्धि के लिए समान्य तापमान की आवश्यकता होती है। और अगर आप मिर्च की खेती को गर्मी या सर्दी के मौसम में करते है तो उसके लिए अलग अलग तापमान की आवश्यकता होती है। जैसे गर्मियों के मौसम में अधिकतम 35 डिग्री तापमान और सर्दियों के मौसम में न्यूनतम 10 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है।

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मिर्ची की उन्नत किस्में

वर्तमान समय में मिर्च की दो प्रजाति की उन्नत किस्में पाई जाती है। देसी और संकर किस्म जिन्हे अलग अलग जलवायु के हिसाब से उगाया जाता है।

मिर्च की देसी किस्म की प्रजाती

  • पंजाबी तेज़
  • पूसा जवाला

पंजाबी तेज़

मिर्च के इस तरह के किस्मों को कम समय में अधिक पैदावार के लिए उगाया जाता है। इस तरह के किस्मों के पौधे अधिक फैलावदार तथा सामान्य लम्बाई के होते है | जिससे निकलने वाले मिर्च 5 से 7 सेंटीमीटर तक लंबा होता है। और इससे निकलने वाले मिर्च शुरू से ही हरे होते लेकिन पकने के बाद गहरे लाल रंग के हो जाते है। जिसे प्रति एकड़ के हिसाब से हरी मिर्च को 65 से 70 क्विंटल तथा सुखी लाल मिर्च को 12 से 15 क्विंटल तक उपजाया जाता है।

पूसा जवाला 

मिर्ची के इस तरह के किस्मों को पूरी तरह तैयार होने में 165 दिन का समय लगता है। इसके पौधे काम ऊंचाई के होते है और इसमें से निकलने वाले मिर्च 10 सेंटीमीटर तक लंबा होता है। इसके प्रति एकड़ के खेत से 30 क्विंटल तक हरी मिर्च और 8  क्विंटल तक लाल सुखी मिर्च को आसानी से उपजाया जाता है।

मिर्च की संकर किस्म की प्रजाती

मिर्च की इस किस्मों को अधिक उपज के लिए उगाया जाता है।

  • अर्का मेघना
  • अर्का हरिता

अर्का मेघना

मिर्च की इस तरह के किस्मों को अधिक उपज के लिए लगाया जाता है। जिससे निकलने वाले मिर्च शुरू में हल्के हरे रंग के होते है और पूरी तरह पकने के बाद गहरे लाल रंग का हो जाता है। इसके प्रति एकड़ के खेत से 110 से 120 क्विंटल तक हरी मिर्च और 20 से 22 क्विंटल तक लाल सुखी मिर्च को आसानी से उपजा सकते है।

अर्का हरिता 

मिर्च के इस तरह के किस्मे अधिक तीखा होता है। जिससे निकलने वाले मिर्च शुरू में हल्के हरे रंग और पकने के बाद गहरे लाल रंग के हो जाते है। इसके एक एकड़ के खेत से 140 क्विंटल तक हरी मिर्च और 35 क्विंटल तक लाल सुखी मिर्च को आसानी से उपजाया जाता है।

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मिर्च की खेती करने के लिए खेत की तैयारी

मिर्च की अच्छी उपज के लिए खेत की अच्छी तरह जुताई गहरी जुताई कर कुछ दिन के लिए ऐसे ही खुला छोड़ दिया जाता है। जिससे खेत के पुराने फसल का अवशेष पूरी तरह नष्ट हो जाता है। और मिट्टी में अच्छी तरह धूप लग जाती है। फिर खेत में प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 15 से 20 गाड़ी गोबर के खाद को डाल कर मिट्टी और गोबर को जुताई करके अच्छे से मिला लिया जाता है। अगर आप गोबर के जगह पे रसायनिक खाद का उपयोग करना चाहते है,तो  70 KG पोटाश, 120 KG नाइट्रोजन और 65 KG फास्फोरस को आपस में मिला कर खेत की आखरी जुताई के समय डाला जाता है। और जुताई करके मिट्टी और खाद को अच्छे से मिला लिया जाता है। फिर खेत में पानी डाल कर कुछ दिन के लिए छोड़ दिया जाता है। जब खेत की मिट्टी उपर से सुखी दिखाई देने लगे तब रोटावेटर लगा कर  दो से तीन तिरछी जुताई कर देना चाहिए। जिससे खेत की मिट्टी भुरभुरी हो जाती है और खेत में पाटा लगा कर  खेत को समतल बना लेना चहिए।

मिर्च की खेती करने के लिए पौधे को तैयार करने का तरीका

मिर्च के पौधे को खेत पे रोपने से पहले नर्सरी में बीज को तैयार कर लिया जाता है। लेकिन उससे पहले बीज को थायरम या बाविस्टन से बीज को उपचारित कर लिया जाता है। अब नर्सरी में क्यारियों को तैयार करने के लिए मिट्टी में 15 किलोग्राम गोबर के खाद को मिट्टी में अच्छे से मिला कर क्यारियों को तैयार कर लिया जाता है। अब  क्यारियों में 5 cm की दूरी रखते हुए हल्की गहरी नाली की तैयार किया जाता है। और इस नाली में बीज को डाल कर हल्की मिट्टी से ढक दिया जाता है। और हजारे विधि द्वारा बीज की सिंचाई की जाती है। एक हेक्टेयर के खेत में देसी मिर्च के बीज की लगाने में 1kg तथा संकर बीज की लगाने में 500g बीज की आवश्यकता होती है। 

खेत में मिर्च के पौधे को रोपने का सही समय और तरीका

मिर्ची के पौधे की रोपाई मेड़ और समतल दोनो ही भूमि में की जाती है। अगर आपको मिर्च की खेती मेड़ वाले भूमि में करना है तो आपको खेत में तीन फिट की दूरी रखते हुए मेड़ को तैयार के लेना चाहिए। और उस मेड़ पे प्रत्येक पौधे के बीच 1 से 1.5 फ़ीट की दूरी रखते हुए पौधे को रोप देना चाहिए। और समतल भूमि में पौधे के रोपाई के लिए 10 फ़ीट लम्बी क्यारियों को तैयार कर लेना चाहिए। और उस क्यारियों में 1 से 1.5 फ़ीट की दूरी रखते हुए। पौधे की रोपाई के देनी चाहिए। जिससे पौधे को फैलने के लिए प्रियाप्त जगह मिल सके। 

मिर्च के पौधे की रोपाई शाम के समय करना उचित माना जाता है क्योंकि शाम के समय रोपाई करने से पौधे में अंकुरण अच्छे से होता है और उपज भी अच्छा होता है। मिर्च के पौधे के रोपाई के लिए सामान्य तापमान बहुत अच्छा माना जाता है ।सर्दियों के मौसम में अक्टूबर और नवम्बर  महीने के बीच पौधे की रोपाई करना अच्छा होता है। और गर्मियों के मौसम में फरवरी और मार्च के महीने में पौधे की रोपाई के लिए उचित माना जाता है।

मिर्च की खेती | chilli cultivation | मिर्च की खेती से लाभ | मिर्च की खेती कैसे करे

मिर्च के पौधे की सींचाई

मिर्च के पौधे को ज्यादा सिंचाई की आवश्यकता होती है। क्योंकि मिर्च के बीज को अंकुरित होने के समय खेत में थोड़ा नमी की आवश्यकता होती है। मिर्च के खेत में पहली सिंचाई पौधे के लगाने के तुरंत बाद करना चाहिए। और गर्मियों के मौसम में खेत की सिंचाई सप्ताह में दो से तीन वार किया जाता है और सर्दियों के मौसम में 10 से 15 दिन पर सिंचाई की आवश्यकता होती है। बारिश के मौसम में जब पौधे में सिंचाई की आवश्यकता हो तब करनी चाहिए।

मिर्ची के खेत से खरपतवार नियंत्रण

मिर्च के खेत में से खरपतवार नियंत्रण के लिए रसायनिक और प्राकृतिक दोनो विधि का इस्तेमाल कर सकते है। रसायनिक विधि से खरपतवार नियंत्रण के लिए उचित मात्रा में आक्सीफ्लोरफेन का छिड़काव समय समय  पर करते रहना चाहिए। प्राकृतिक विधि से खरपतवार नियंत्रण के लिए निराई – गुड़ाई करते रहना चाहिए। अगर सही समय पर मिर्च के खेत से खरपतवार की नहीं निकाला जाता है तो पौधे का विकास रुक जाता है और उपज में बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ता हैं। इसलिए मिर्च के खेत में पहली गुड़ाई 25 दिन में किया जाता है और बांकी की गुड़ाई 18 से 20 दिन के अंतराल में करते रहना चाहिए।

मिर्च के पौधे में लगने वाले प्रमुख रोग और उसके रोकथाम

  • आर्द्र गलन
  • छाछया किस्म के रोग

आर्द्र गलन

पौधे में इस तरह के रोग शुरू से ही दिखने लगता है।यह रोग पौधे के जमानी साथ से थोड़ा उपर देखने को मिलता है। पौधे में इस तरह के रोग लगने के बाद पौधे का तना कला होने लगता है और पौधा सड़कर नष्ट हो जाता है। आर्द्र गलन रोग के रोकथाम के लिए मिर्च के पौधे की रोपाई से पहले थाइरम या कैप्टान अच्छी तरह उपचारित किया जाता है। और अगर यह रोग पौधे लगाने के बाद लगता है तब पौधे के जड़ो पे भी थाइरम या कैप्टान का छिड़काव किया जाता है।

छाछया किस्म के रोग

इस रोग को सफ़ेद रोली के नाम से भी जाना जाता है। अगर पौधे में इस तरह के रोग लग जाते है तब पत्तियों पर सफ़ेद चूर्णी धब्बे दिखाई देने लगता है। जिसके रोकथाम के लिए केराथियॉन एल सी का छिड़काव 10 से 15 दिन में किया जाता है। 

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मिर्च की तुड़ाई, उपज और लाभ

मिर्च का पौधा 55 दिन में पूरी तरह उपज देने के लिए तैयार हो जाता है। इसकी पहली तुड़ाई के 12 से 15 दिन के अंतराल में बंकी की तुड़ाई करते रहना चाहिए। लेकिन किसान भाई लाल के लिए 130 दिन के बाद मिर्च को तोड़ना चाहिए। फिर मिर्च को धूप में सुखा लेना चाहिए जिससे मिर्च और अधिक तीखा हो जाता है। अब मिर्च को बाजार में बेचने के लिए भेज सकते है। एक एकड़ के खेत से देशी किस्म की मिर्च 60 क्विंटल तथा संकर किस्म की मिर्च 300 से 320 क्विंटल तक उपज आसानी से प्राप्त होता है। बाजार में मिर्च का भाव किस्मों के आधार पर 25 से 45 रूपए प्रति किलो होता है। जिससे किसान भाई को देसी मिर्च के एक फसल से 1 से 2 लाख तक आसानी से कमाई हो जाती है। और संकर किस्म के मिर्च से 3 से 3.5 लाख तक कमाई आसानी से हो जाता है।

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