दोस्तो आज के इस लेख में मैं आपको टमाटर की खेती करने के वारे में सम्पूर्ण जानकारी step by step बताऊंगा की खेती में कोन से टमाटर के उन्नत किस्म को लगाने चाहिए, टमाटर की बुआई के लिए खेत को कैसे तैयार करनी चाहिए, टमाटर के बीज की मात्रा क्या होनी चाहिए, टमाटर की बुआई कब करनी चाहिए, टमाटर के फसल में सिंचाई कितनी करनी चाहिए, टमाटर के फसल से रोग और खरपतवार को कैसे दूर करनी चाहिए सारी चीजे प्रैक्टिकली बताऊंगा
टमाटर एक ऐसी सब्जी है जिसका इस्तमाल पूरी दुनिया में आलु और प्याज के बाद की जाती है। टमाटर सब्जी के साथ साथ सलाद के रूप में हुई किया जाता है। और इसे ऐसे खाली भी खाया जाता है जिससे हमारे शरीर को बहुत सारे पोशाक तत्व प्रोटीन, कैल्शियम, फास्फोरस और विटामिन सी मिलते है। टमाटर को केवल सब्जी और सलाद में ही नहीं बल्कि इसका ज्यादा इस्तमाल सॉस (चटनी) के रूप में भी किया जाता है। ऐसे टमाटर की खेती पूरे साल की जाती है। लेकिन सर्दी के मौसम में टमाटर के फसल पे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है क्योंकि सर्दियों के मौसम में गिरने वाले पाले से फसल को बहुत ज्यादा नुकसान होता है। और अगर कोई किसान भाई नियमित रूप से टमाटर की खेती करता है तो उसे बहुत ज्यादा लाभ मिलता है। अगर आप भी टमाटर की खेती करना चाहते है तो इस लेख में टमाटर की खेती से सम्बंधित जानकारी आपको मिलेगी
:- टमाटर की खेती करने के लिए उपयुक्त मिट्टी, जलवायु और तापमान
टमाटर की खेती करने के लिए दोमट मिट्टी का होना बहुत जरूरी होता है। ऐसे सभी तरह के मिट्टी में इसकी खेती आसानी से की जाती है। और मिट्टी का P.H. मान 6 से 8 के बीच होना चाहिए। अधिक पानी वाले जगह पे टमाटर की खेती करना उचित नहीं माना जाता है। क्योंकि टमाटर का फसल जमीन के पास ही होता है इसलिए अधिक पानी की वजह से पौधे में बहुत सारे रोग होने का खतरा रहता है जिससे फसल बरवाद हो जाता हैं। इसलिए टमाटर की खेती के लिए खेत का अच्छा होना बहुत जरूरी होता है। लेकिन टमाटर की खेती के लिए कोई खास जलवायु की आवश्यकता नहीं होती है। इसलिए इसकी खेती हर जगह की जाती है लेकिन सर्दियों के मौसम पे पड़ने वाले पाला के वजह से फसल नष्ट हो सकता है। इसलिए टमाटर की खेती के लिए एक आदर्श मौसम अच्छा मजा गया है।
टमाटर की खेती के लिए तापमान का बहुत बड़ा महत्त्व होता है। क्योंकि टमाटर के बीज को अंकुरित होने के लिए 15 से 20 डिग्री तापमान अच्छा होता है। जब टमाटर का पौधा विकसित हो जाता है तब उसने फूल खिलते है और इन फूलों के परागकण और निषेचन की क्रिया के होने के लिए काम से काम 15 और ज्यादा से ज्यादा 30 डिग्री का तापमान होना जरूरी होता है। अगर 30 डिग्री से ज्यादा तापमान हो जाता है तब परागकण और निषेचन वाले फूलों के गिरने की सम्भावना बनी रहती है। टमाटर जब लाल होने लगता है तब उस समय 20 से 25 डिग्री तापमान होना फसल के लिए अच्छा माना जाता है।
:- टमाटर के प्रमुख किस्में
आज कल बाजार में कई प्रकार के टमाटर के किस्में दखने को मिलता है। जो अलग अलग जलवायु और वातावरण में तैयार होता है।
बहुत ऐसे टमाटर के किस्में है जिसकी खेती करके किसान भाई अधिक पैदावार प्राप्त करते है। जिसके वारे में नीचे दिया गया है।
:- स्वर्ण लालिमा
टमाटर के इस तरह के किस्मों को सर्दियों के मौसम में किया जाता है। यह ज्यादा लाल और आकर में गोलाकार होता है। जिसको एक हेक्टेयर के खेत से 600क्विंटल तक उपजाया जाता हैं।
:- पूसा शीतल
टमाटर के इस तरह के किस्मों को अत्याधिक ठंडे वारे स्थान में उगाया जाता है। यह रंग के लाल और चपटे आकार के होते है। जिसको प्रति हेक्टेयर के हिसाब के खेत से 300 क्विंटल तक उपजाया जाता हैं।
:- पंजाब छुहारा
टमाटर के इस तरह के किस्मों को लुधियाना के कृषि विश्वविद्यालय में तैयार किया जाता है। इसे पूरी तरह तैयार होने में 90 से 100 दिन का समय लगता है। इस फसल को गर्मियों के सीजन के लिए अच्छा माना जाता है। इस टमाटर का आकार छोटा और रंग में लाल और पीला होता है।
:- काशी अमन
टमाटर के इस तरह के किस्मों को पूरी तरह तैयार होने में 90 दिन का समय लगता है। यह रंग में लाल और पीला होता है और इसका आकार गोल और चपटा दोनो होता है। जिससे प्रति हेक्टेयर के खेत से 600 क्विंटल तक उपजाया जाता है।
:- स्वर्ण समृद्धि
टमाटर के इस तरह के किस्मों को सर्दी और वर्षा के मौसम से पहले उगाया जाता है। इसे पूरी तरह तैयार होने में 70 दिन का समय लगता है। इस किस्म के टमाटर ठोस और लाल होता है। इस तरह के किस्म काम समय में अधिक पैदावार देता है। इसके एक हेक्टेयर के खेत से लगभग लगभग 900 क्विंटल तक उपजाया जाता हैं।
:- स्वर्ण सम्पदा
टमाटर के इस तरह के किस्मों को वर्षा और सर्दी के मौसम से पहले उगाया जाता है। इस किस्मों के टमाटर रंग में लाल और आकर में बड़ा और गोलाकार होता है। इसे पूरी तरह तैयार होने ने 80 दिनों का समय लगता है। जिससे प्रति हेक्टेयर के खेत से 900 से 100 क्विंटल तक उपजाया जाता है।
:- स्वर्ण नवीन
टमाटर के इस तरह के किस्मों को पूरी तरह तैयार होने में 70 दिन का समय लगता है। इस किस्म के टमाटर रंग में लाल और आकर में अंडाकार होता है। इसे सर्दी और बारिश के मौसम में आसानी से उगाया जाता है। जिसके प्रति हेक्टेयर के खेत से 500 क्विंटल तक उपजाया जाता है।
:- टमाटर की खेती करने के लिए खेत की तैयारी
टमाटर की खेती करने के लिए पहले के फसल का बचा हुआ अवशेषो को नष्ट करके टमाटर की खेती करना उचित माना जाता है। इसके लिए खेत की दो से तीन वार तिरछी जुताई करके ऐसे ही छोड़ दिया जाता हैं जिससे बचे हुए अवशेषो नष्ट हो जाते है। इसके बाद गोबर का खाद डाल कर मिट्टी और गोबर को जुताई करके मिला लिया जाता है। और खेत पे पानी डाल कर कुछ दिन के लिए छोड़ दिया जाता है। और जब मिट्टी सुखी दिखाई देने लगे तब खेत की अच्छी तरह जुताई कर देना चाहिए जिससे मिट्टी भुरभुरा हो जाता है। अब टमाटर के पौधे लगाने के लिए मेड़ को तेयार कर लें।
:- टमाटर की खेती के लिए पौधे कैसे तैयार करें
टमाटर के बीज को सीधा खेत में नहीं उगना चाहिए इसलिए सबसे पहले नर्सरी (पौध घर) में तैयार कर लेना चाहिए। अगर पौधा साधारण किस्म का है तो प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 500g (ग्राम) बीज की जरूरत होती है। और अगर संकर किस्म के पौधे है तो उसमे 300g(ग्राम) बीज की आवश्यकता होती है। बीज को उगाने के लिए एक निश्चित आकार की कियारियां तैयार करके उसमे गोबर की खाद डाल कर मिट्टी और गोबर को मिला लेना चाहिए । और साथ ही मिट्टी में कार्बोफ्यूरान की उचित मात्रा मिला लें जिससे पौधे रोगग्रस्त होने से बचा रहता है।
अब तैयार किए गए कियारियों में बीज को अच्छी तरह मिला लें। और समय समय पे सिंचाई करते रहे, लगभग लगभग 20 से 30 दिन में टमाटर के पौधे लगाने के योग हो जाते है। पौधे को खेत में लगने से पहले उन्हें ट्राइकोडर्मा या कार्बेन्डाजिम के घोल से 25 से 30 मिनट तक उपचारित कर लेना चाहिए|
:- टमाटर के बीजों का चयन
पेस्ट टमाटर, पीला नाशपाती, अमीश पेस्ट, ब्लैक क्रिम, चेरी टमाटर, सैन मार्ज़ानो, चेरोकी ग्रीन और नेपाल टमाटर के प्रमुख लोकप्रिय किस्में हैं। हालांकि इन सभी टमाटर के किस्मों को निर्धारित और अनिश्चित प्रकारों में विभाजित किया गया है। टमाटर के पौधे में निर्धारित प्रकार तब तक अंकुर पैदा करते रहता है जब तक की बेल पर फूल नहीं खिल जाता है। लेकिन अनिश्चित प्रकारों में फुल के साथ साथ अंकुर बनते रहता है और ये तबतक बढ़ते रहता है जब तक मौसम की स्थिति अनुकूल नहीं हो जाता है।
:- टमाटर की खेती के लिए उर्वरक की मात्रा
टमाटर के खेत में पोषक तत्वों की जरूरत होती है। अगर आप टमाटर की अच्छी पैदावार चाहते है तो आपको समय समय पे खाद की सही मात्रा देने की जरूरत होती हैं। इसलिए खेत की पहली जुताई के बाद प्रति हेक्टेयर खेत के हिसाब से 8 से 12 गाड़ी गोबर की खाद दस दिन पहले डाल कर मिट्टी को ठीक से मिला लेना चाहिए। ऐसे गोबर की खाद के अलावा टमाटर के फसल में रसायनिक खाद की भी बहुत जरूरी होता है। इसलिए खेत की अखरी जुताई के बाद 70 से 80kg(किलोग्राम) नाइट्रोजन , 50 से 60kg(किलोग्राम) पोटाश और फास्फोरस 50kg(किलोग्राम) प्रति हेक्टेयर के हिसाब से खेत में छिड़काव करना होता है। फिर 40 से 45 दिन के बाद 20kg(किलोग्राम) नाइट्रोजन की मात्रा पौधों की सिंचाई के वक्त दिया जाता है। फिर इसके एक महीने के बाद 20 किलोग्राम नाइट्रोजन से खेत की सिंचाई करनी चाहिए।
:- टमाटर के पौधे में सिंचाई का तरीका
खेत की सिंचाई पौधे लगाने के साथ ही कर देना अच्छा माना जाता है। जिससे जोड़े जब तक अंकुरित न हो जाता है तब तक खेत में नमी बनी रहती है। जब पौधा अंकुरित हो जाता है तब नष्ट हुई पौधे को निकाल कर बाहर के देना चाहिए। यदि फसल को गर्मी के मौसम में उगाया जाता है तब खेत में हफ्ते में 3 से 4 दिन के अंतराल में सिंचाई करते रहना चाहिए। और अगर फसल को सर्दियों के मौसम में उगाया जाता है तब खेत में होते में एक वार सिंचाई की आवश्यकता होती है। जब फसल में फुल निकलने लगे तब फसल में पानी की मात्रा को समान्य रखना चाहिए जिसे फुल खराब न हो जाए।
:- टमाटर के फसल को खरपतवार से नियंत्रण
खरपतवार सभी फसल के लिए हानिकारक होता है लेकिन टमाटर के फसल के लिए खरपतवार नियंत्रण करना बहुत जरूरी होता है नहीं तो फसल को बहुत हानि पहुंचता है।
क्योंकि टमाटर के पौधे के पास खरपतवार होता है तो पौधे को अच्छे से पोषक तत्वों नहीं मिल पाता है। जिससे टमाटर के पौधे का विकास रुक जाता है। इसलिए टमाटर के फसल को अच्छे से बचा कर रखा जाता है। इसलिए फसल को खरपतवार नियंत्रण के लिए समय समय पर निराई – गुड़ाई करते रहना चाहिए। जिससे पौधे के जड़ो को पर्याप्त मात्रा में वायु और पोषक तत्व प्राप्त होते रहता है। जिससे पौधे के विकास ठीक से होते रहता है
:- टमाटर के फसल में लगने वाले रोग
टमाटर में कई प्रकार के रोग होते है जिसमे कुछ कीट से और कुछ वायरस से होने वाला रोग होता है।
:- कीट से होने वाले प्रमुख रोग
- सफ़ेद मक्खी से होने वाले कीट रोग
- हरा तेला कीट रोग
- फल छेदक कीट रोग
- तम्बाकू की इल्ली वाले कीट
टमाटर के फसल में कीट से होने वाले रोग पौधे के कोमल भाग को हानि पहुंचाते है। जिसके बचाव के लिए समय समय पर रोगों का पहचान करके प्रियप्त मात्रा में कीट नाशक दावा का छिड़काव करना चाहिए।
:- वायरस से होने वाला प्रमुख रोग
- आद्र गलन वायरस रोग
- पछेती झुलसा वाले रोग
- अगेती झुलसा वायरस वाले रोग
- बकाय रॉट वाले रोग
इस तरह के वायरस से लगने वाले रोग पौधे को बहुत तेजी से नष्ट कर देता है। जिससे पौधे के बचाव के लिए समय समय पर वायरस का पहचान करके दावा का छिड़काव किया जाता है।
:- टमाटर को कब तोड़े
टमाटर की फसल पौधे को लगाने के 90 दिन के बाद ही टमाटर तोड़ने लायक हो जाता है। टमाटर को तोड़ते समय अधिक लाल वाला टमाटर को अलग और कठोर टमाटर को तोड़ कर अलग करके रखा जाता है। जिसमे कठोर टमाटर को दूर के बाजार में बेचने के लिए भेजा जाता है और पूरा पका हुआ लाल टमाटर को नजदीक के बाजार में बेचने के लिए भेज दिया जाता है। प्रति हेक्टेयर के हिसाब से काम से काम 700 क्विंटल तक आसानी से उपजाया जाता है। जिससे किसान भाई अच्छा मुनाफा कमा लेते है
Post a Comment