प्याज की खेती | farming of onion

दोस्तो आज के इस लेख में मैं आपको प्याज की खेती करने के वारे में सम्पूर्ण जानकारी step by step बताऊंगा की खेती में कोन से प्याज के उन्नत किस्म को लगाने चाहिए, प्याज की बुआई के लिए खेत को कैसे तैयार करनी चाहिए, प्याज के बीज की मात्रा क्या होनी चाहिए, प्याज की बुआई कब करनी चाहिए, प्याज के फसल में सिंचाई कितनी करनी चाहिए, प्याज के फसल से रोग और खरपतवार को कैसे दूर करनी चाहिए सारी चीजे प्रैक्टिकली बताऊंगा

:- प्याज उगाने से सम्बंधित जानकारी

प्याज की खेती | farming of onion


प्याज एक सब्जी की फसल है जो जड़ जैसे फलों के लिए उगाई जाती है। विभिन्न क्षेत्रों में इसे अक्सर कांदा के नाम से जाना जाता है। प्याज सब्जी और मसाला दोनों के रूप में काम करता है, जिससे शरीर को कई आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं जो फायदेमंद होते हैं। इसके अतिरिक्त, इसकी खेती औषधीय प्रयोजनों के लिए की जाती है और विभिन्न दवाओं के उत्पादन में उपयोग किया जाता है। इसके प्राथमिक लाभों में से एक विकिरण/रेडिएशन को कम करने की क्षमता है।

माना जाता है कि गर्मियों में प्याज खाने से लू से बचाव होता है। इसे उगाने के लिए अधिक पानी की आवश्यकता होती है। भारत की प्याज की फसल उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों में उगाई जाती है। प्याज की मांग साल भर बनी रहती है, इसलिए प्याज की खेती एक लाभदायक खेती के रूप में की जा सकती है। अगर आप भी प्याज उगाने की योजना बना रहे हैं तो यह लेख आपको प्याज कैसे उगाएं (onion खेती in हिंदी) और प्याज से आय कैसे अर्जित करें, इसकी जानकारी देगा।

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प्याज की खेती करने के लिए आवश्यक मिट्टी, जलवायु और तापमान

प्याज की खेती किसी भी उपजाऊ मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन इसकी खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है। प्याज कंद के रूप में बढ़ता है, इसलिए इसे जल जमाव वाले क्षेत्रों में नहीं लगाना चाहिए। इसकी फसल के लिए 5 से 6 पी.एच.(P.H.) बहुमूल्य भूमि की आवश्यकता होती है।


प्याज को ठंडी और गर्म दोनों जलवायु में उगाया जा सकता है, लेकिन ठंडी जलवायु में उगाए गए प्याज की पैदावार अधिक होती है और सर्दियों की ठंढ पौधों के लिए हानिकारक हो सकती है। इसलिए इसकी फसल अधिकतम 30 डिग्री और न्यूनतम 15 डिग्री तापमान ही झेल सकती है।

प्याज की प्रजातियां

वर्तमान में जलवायु परिस्थितियों के अनुसार अधिक उपज प्राप्त करने के लिए कई प्रजातियों के प्याज का प्रजनन किया गया है। इसके अलावा इस प्रजाति की कुछ किस्में ऐसी भी हैं जो अधिक पैदावार देने के लिए तैयार हैं। प्याज की इन प्रजाति  को रबी और ख़रीफ़ किस्मों में विभाजित किया गया है।

प्याज की खेती | farming of onion


1:– रबी प्रजाति की प्याज

रबी के समय में प्याज बोने से अधिक पैदावार होती है। इस किस्म को सर्दियों में लगाया जाता है और नवंबर और दिसंबर में रोपाई की जाती है। रबी के सीज़न में उगाई जाने वाली किस्में कुछ इस प्रकार हैं:- पूसा रतनार, भीमा रेड, भीमा शक्ति, एग्रीफाउंड लाइट रेड, एग्रीफाउंड रोज और पूसा रेड आदि।

2:– खरीफ प्रजाति की प्याज

खरीफ प्रजाति की प्याज कम ही उगाई जाती है। इसके प्याज की रोपाई मध्य मई और मध्य जून में की जाती है। भीमा सुपर, पूसा व्हाइट राउंड, एग्रीफाउंड डार्क रेड और भीमा डार्क रेड किस्में खरीफ सीजन के लिए रोपण के लिए तैयार हैं।

3:– एग्रीफाउंड डार्क रेड

प्याज की इस प्रजाति को गर्मियों के मौसम में उगाया जाता है , इस प्रजाति के पौधो को भारत में अधिकतर सभी जगहों पर उगाया जाता है| इसके कंद आकार में गोल होते हैं , जो की बीज रोपण के बाद 100 से 110 दिन में पैदावार देने के लिए तैयार हो जाते है| यह क़िस्म तक़रीबन 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से पैदावार देता है|

4:– भीमा सुपर

प्याज की इस किस्म की पैदावार होने में तकरीबन 110 से 115 दिन का समय लग जाता है| इसे पछेती किस्म के रूप में खरीफ की फसल के समय उगाया जाता है| यह किस्म तक़रीबन 250 से 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से पैदावार देती है|

5:– एग्रीफाउंड लाइट रेड

इस किस्म के पौधे 120 दिन के अंतराल में पैदावार के लिए तैयार हो जाते है| यह किस्म रबी के मौसम में उगाई जाती है| जिसमे निकलने वाले कंद हल्के लाल रंग के तथा गोल आकार के होते है| यह किस्म 300 से 375 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से पैदावार देती है|

6:– पूसा व्हाइट राउंड

प्याज की यह किस्म रोपाई के 135 दिन बाद  पैदावार के लिए तैयार हो जाती है| इसमें निकलने वाले कंदो का रंग सफ़ेद होता है| यह किस्म 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से पैदावार देती है|

प्याज की खेती | farming of onion

प्याज के खेत की तैयारी एवं उर्वरक की मात्रा

प्याज के खेत को तैयार करने के लिए सबसे पहले उसकी अच्छे से जुताई की जाती है| इसके बाद खेत को कुछ दिनों के लिए खुला छोड़ दिया जाता है| इसके बाद खेत में प्राकृतिक रूप से तैयार की गई खाद को प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 15 से 20 गाड़ी पुरानी गोबर की खाद डाली जाती है| खाद डालने के बाद खेत की दुबारा अच्छे से जुताई कर दी जाती है, ताकि खेत की मिट्टी में गोबर की खाद पूर्ण रूप से मिल जाए| यदि आप चाहे तो वर्मिंग कम्पोस्ट खाद का भी उपयोग कर सकते हैं| इसके लिए आपको खेत की आखरी जुताई के समय में  नाइट्रोजन 40 KG, पोटैश 20 KG, सल्फर 20 KG की मात्रा में प्रति एकड़ के हिसाब से खेत में डालकर जुताई करना होगा|

गोबर की खाद मिट्टी में मिलाने के बाद उसमे पानी लगाकर पलेव कर दिया जाता है, फिर उसे कुछ समय के लिए ऐसे ही छोड़ दिया जाता है, इसके बाद जब खेत की मिट्टी ऊपर से सूखी दिखाई देने लगती है, तब उसमें रोटावेटर से जुताई कर दी जाती है| इससे खेत की मिट्टी भुरभुरी हो जाती है।  एक बार जब मिट्टी भुरभुरी हो जाए उसके बाद उसमे पाटा लगाकर खेत को समतल कर दिया जाता है| समतल खेत में हम कंदों को एक फुट की दूरी पर रखकर रोपण के लिए पंक्तियाँ बनाते हैं।

प्याज के बीज की रोपाई का सही समय और तरीका 

प्याज के बीजो की रोपाई पौधे के रूप में की जाती है, इसके बीज को खेत में लगाने से पहले इसके पौधों को एक से दो महीने पहले नर्सरी में तैयार कर लिया जाता है| इसके अलावा यदि आप चाहे तो किसी रजिस्टर्ड नर्सरी से भी इसके पौधों को खरीद सकते है, इससे आपके समय की काफी बचत होगी और पैदावार भी जल्दी प्राप्त होगी| पौधों को खरीदते समय पौधे बिलकुल स्वस्थ और 2 महीने पुराना होना चाहिए| इसके बाद तैयार की गई मेड़ के दोनों तरफ पौधों की रोपाई की जाती है|

पौधों को मेड़ पर 5 से 7 CM की दूरी पर लगाया जाता है | अगस्त का महीना खरीफ प्याज के पौधों की रोपाई के लिए सबसे उपयुक्त है, जनवरी तथा दिसंबर का महीना रबी प्याज के पौधों के लिए उपयुक्त है | पौधों को खेत में लगाने से पहले उसकी जड़ो को मोनोक्रोटोफॉस और कार्बेन्डाजिम की उचित मात्रा से उपचारित कर लिया जाता है | इससे पौधों के विकास के समय में लगने वाले रोगों का खतरा कम हो जाता है |

प्याज के पौधों की सिंचाई

प्याज के पौधों की सिंचाई के लिए ड्रिप विधि का उपयोग करना सबसे बेहतरीन माना जाता है | इसकी फसल को 10 से 12 बार सिंचाई की जरूरत होती है | इसके पौधों की पहली सिंचाई पौधा रोपण के तुरंत बाद की जाती है | खेत में नमी बनाये रखने के लिए लगातार एक महीने तक हल्की सिंचाई करनी होती है | इसके बाद जब कंद बढ़ने लगे उस समय पौधों को दो से तीन दिन के अंतराल में पानी की जरूरत होती है |

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प्याज की फसल में खरपतवार नियंत्रण

प्याज की खेती में खरपतवार की रोकथाम पर ध्यान देना अधिक जरूरी है, क्योंकि खरपतवार से उत्पन्न कीट पौधों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए प्राकृतिक तरीकों का उपयोग किया जाता है, लेकिन पौधों की निराई करते समय कंदों की जड़ों पर विशेष ध्यान देना चाहिए। ढीला करने के बाद मिट्टी को पौधों की जड़ों पर लगाया जाता है, पौधों को अधिकतम 5 ढीलेपन की आवश्यकता होती है। यदि खेत में बहुत अधिक खरपतवार हैं, तो उन्हें नियंत्रित करने में मदद के लिए एक विशेष स्प्रे (पेंडिमिथाइलीन) का भी उपयोग करते हैं। 

प्याज की खेती | farming of onion


प्याज के पौधों में लगने वाले रोग एवं उनकी रोकथाम

1:– थ्रिप्स

इस प्रकार का रोग फलो पर कीट के रूप में आक्रमण करता है | यह कीट पत्तियों का रस चूस लेते है, जिसकी वजह से पत्तियों पर सफ़ेद रंग के धब्बे दिखाई देने लगते हैं | इसके कीट आकार में अधिक छोटा होते हैं, जो देखने में पीले रंग के होते हैं | इस रोग की रोकथाम के लिए पौधों पर इमीडाक्लोप्रि कीटनाशक 17.8 एस.एल. का छिड़काव किया जाता है |

2:– जड़ सडन रोग

इस रोग से प्रभावित होने पर पौधे की जड़े हल्की गुलाबी रंग की होने लगती हैं| जिसके कुछ समय पश्चात् ही पौधा सूखकर खत्म हो जाता है | इस रोग से बचाने के लिए कार्बेन्डाजिम का सही मात्रा में छिड़काव पौधों पर किया जाता है |

3:– पौध गलन रोग

इस तरह का रोग अक्सर पौधा रोपण के बाद देखने को मिलता है | इस रोग से प्रभावित पौधे आरम्भ में ही पीले पड़कर गलने लगते है, और रोग का प्रभाव ज्यादा होने पर पौधा पूरी तरह से ख़राब हो जाता है | इस रोग से बचाने के लिए थीरम की 0.2% मात्रा से पौधों को रोपाई से पहले उपचारित कर लेना उचित होता है |

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 प्याज से खुदाई, पैदावार और आय 

 प्याज के पौधा रोपण के बाद 4 से 5 महीने में पैदावार देने के लिए तैयार हो जाता है | जब इसके पौधें की पत्तिया पीली होकर गिरने लगती हैं उस समय इसके फलो की तुड़ाई कर ली जाती है | इसके बाद प्याज की खुदाई कर उन्हें दो से तीन दिन तक अच्छे से सुखा दिया जाता है | सुखाने के बाद जड़ और पत्तियों को अलग कर लिया जाता है | इसके बाद इन्हें छायादार जगह पर रखकर अच्छे से सुखा लिया जाता है |

एक हेक्टेयर के खेत से प्याज तक़रीबन 350 क्विंटल की पैदावार प्राप्त हो जाती है, अगर किसान भाई चाहे तो इसकी अलग–अलग पैदावार से 800 क्विंटल तक की पैदावार प्राप्त कर सकते है | इस हिसाब से किसान भाई एक वर्ष में 3 से 4 लाख तक की अच्छी आय अर्जित कर सकते हैं |



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