मेथी की खेती | Fenugreek Farming | मेथी की खेती से लाभ

दोस्तो आज के इस लेख में मैं आपको मेथी की खेती करने के वारे में सम्पूर्ण जानकारी step by step बताऊंगा की खेती में कोन से मेथी की उन्नत किस्म को लगाने चाहिए, मेथी की बुआई के लिए खेत को कैसे तैयार करनी चाहिए, मेथी के बीज की मात्रा क्या होनी चाहिए, मेथी की बुआई कब करनी चाहिए, मेथी के फसल में सिंचाई कितनी करनी चाहिए, मेथी के फसल से रोग और खरपतवार को कैसे दूर करनी चाहिए सारी चीजे प्रैक्टिकली बताऊंगा
मेथी की खेती | Fenugreek Farming | मेथी की खेती से लाभ

मेथी की खेती से सम्बंधित जानकारी

मेथी को मसाले के रूप में उगाया जाता है। पौधे और मेथी के बीज दोनों का उपयोग भोजन के लिए किया जाता है। इसकी हरी पत्तियों को सब्जी के रूप में उपयोग किया जाता है। वही मेथी के दानों का उपयोग औषधियों, सौंदर्य प्रसाधनों और अचार के निर्माण में मसाले के रूप में किया जाता है। मेथी के दानों के सेवन से पेट की समस्या से राहत पाई जा सकती है। इसके दानों का उपयोग पशुओं के लिए भी किया जाता है। इस कारण यह एक औषधीय पौधा भी है।

मेथी की महक बहुत अच्छी होती है, लेकिन स्वाद कड़वा होता है। किसान भाई मेथी को व्यावसायिक तौर पर उगाकर भी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। इस पोस्ट में आपको मेथी की खेती कैसे करें और मेथी की प्रमुख प्रजातियों की जानकारी मिलेगी।

मेथी की खेती करने के लिए उपयुक्त मिट्टी, जलवायु और तापमान

अच्छी फसल के लिए मेथी को बलुई दोमट मिट्टी की जरुरत होती है। इसे जल भराव और काले क्षेत्रों में नहीं उगाया जा सकता। जल भराव से फसल बर्बाद होने का खतरा बढ़ जाता है। जिस भूमि पर यह उगाया जाता है उसका पी.एच. मान 6और 8 के बीच होना चाहिए।

मेथी और रबी को एक साथ उगाया जाता है, इसलिए पौधों को बहुत अधिक बारिश की जरुरत नहीं होती है। यह पौधा सर्दियों में भी अच्छे से बढ़ता है। पौधों को अंकुरित होने के लिए समान्य तापमान की जरुरत होती है और विकास के दौरान इष्टतम तापमान 15 से 20 डिग्री होता है।

मेथी की प्रमुख प्रजातियां

मेथी की कई प्रमुख प्रजातियां अब बाजार में उपलब्ध हैं और अधिक पैदावार के लिए जलवायु के अनुसार उगाई जाती हैं। जिसकी जानकारी इस प्रकार है:

फूलगोभी गहुँ की खेती कैसे करें

हिसार सोनाली  

मेथी की यह प्रजाति राजस्थान और हरियाणा में बड़ी मात्रा में उगाई जाती है। अंकुरित पौधे की लंबाई भी अधिक होती है तथा इसके फल बीज बोने के 140 से 150 दिन बाद लगते हैं। इस प्रजाति के पौधों पर जल गलन रोग नहीं देखी जाती है। इसकी उपज प्रति हेक्टेयर 17 – 18 क्विंटल के हिसाब से होती है।

लेम सेलेक्शन 1  

इस प्रजाति के पौधे बुआई के 70 दिन बाद तैयार हो जाते हैं, जिसके बाद इनकी कटाई कर सकते है। ये पौधे ऊंचाई में समान्य होते हैं, जिनसे प्रति हेक्टेयर 8 क्विंटल के हिसाब से उपज प्राप्त होती है।

इसके अलावा मेथी की कई प्रमुख प्रजातियां उगाई जाती हैं, जिनमें ए एफ जी 1, राजेंद्र क्रांति, आर एम टी 1, आर एम टी 305, ए एफ जी- 2,3, हिसार माधवी, आर एम टी- 143, हिसार सुवर्णा, को- 1 और पूसा कसूरी शामिल हैं। जो की अधिक पैदावार के लिए ये प्रजातियां उगाई जाती हैं।

मेथी के खेत की तैयारी

मेथी की रोपाई से पहले खेत को अच्छी तरह तैयार कर लेना चाहिए। ऐसा करने के लिए सबसे पहले खेत की गहरी जुताई करनी होगी। जुताई के बाद खेत को कुछ देर के लिए खुला छोड़ दें। उसके बाद पुराने गोबर के खाद को प्राकृतिक खाद के रूप में मिट्टी में मिला देना चाहिए और कम्पोस्ट को जैविक खाद के रूप में मिट्टी में मिला देना चाहिए। खाद को खेत में मिलाने के बाद पानी डालकर पालेव कर दें। उसके बाद यदि खेत की मिट्टी ऊपर से सूखी लगे तो कल्टीवेटर चलाकर मिट्टी को ढीला कर दें। उसके बाद पाटा लगाकर जुताई कर दें। इससे खेत समतल हो जाता है और जलभराव जैसी समस्या नहीं होगी।

मेथी के बीजों की रोपाई का सही समय और तरीका

मेथी के पौधों को बीज के रूप में लगाया जाता है। इसके लिए ड्रिल तथा स्प्रे विधि का उपयोग किया जाता है। बीज को खेत में बोने से पहले उन्हें बाविस्टिन से उपचारित किया जाता है। ड्रिल विधि से 1 हेक्टेयर क्षेत्र में बुआई के लिए 25-30 किलोग्राम बीज और छिड़काव के लिए 35 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है।

स्प्रे विधि से समतल भूमि में बीजों को छिड़क कर कल्टीवेटर की मदद से दो–तीन हल्की जुताई कर दें। इससे बीज मिट्टी में गहराई तक प्रवेश कर पाते हैं। खेत में ड्रिल विधि द्वारा बोआई के लिए क्यारियाँ तैयार कर लें। ऐसा करने के लिए खेत में 25-30 सेमी की दूरी पर क्यारियां तैयार करें, प्रत्येक बीज के बीच की दूरी 10 सेमी रखें।

मेथी के बीज अक्टूबर से नवंबर के बीच बोने चाहिए। इसके अलावा भारत के कुछ राज्यों में इसे खरीफ़ की फसल के साथ भी बोया जाता है।

मिर्च की खेती कैसे करें

मेथी के पौधों की सिंचाई

मेथी के पौधों को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती। मेथी के बीज को अंकुरित होने के लिए खेत में नमी की जरूरत होती है। इसलिए खेत में नमी बनाए रखने के लिए समय-समय पर पानी देते रहना चाहिए। बीज बोने के एक महीने बाद मेथी के खेत में पहली बार पानी डाला जाता है। पौधे को 5-6 बार पानी देने की जरूरत होती है, जिसमें 20 दिन के अंतर पर पानी देते रहना चाहिए।

मेथी के खेत में खरपतवार नियंत्रण

मेथी की खेती में खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए प्राकृतिक और रासायनिक दोनों तरीकों का इस्तेमाल किया जा सकता है। निराई और गुड़ाई खरपतवारों को प्राकृतिक रूप से नियंत्रित करने का काम करती है। वहीं रासायनिक तरीके से खरपतवार नियंत्रण के लिए फ्लुक्लोरेलिन की सही मात्रा का छिड़काव करना चाहिए। खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए बीज बोने के लगभग 25 दिन बाद पहली गुड़ाई शुरू करनी चाहिए। उसके बाद खेत में खरपतवार दिखाई देने पर समय-समय पर उनकी गुड़ाई करते रहना चाहिए।

मेथी के पौधों में लगने वाले प्रमुख तरह के रोग एवं उसके रोकथाम

चेपा कीट रोग  

इस प्रकार का रोग छोटे कीट के रूप में आता है और इसे माहू भी कहा जाता है। यह कीट काले, हरे और पीले रंग का होता है। ये कीट समूह बनाकर पौधों के कोमल ऊतकों से रस चूसकर पौधों को संक्रमित करते हैं, जो पौधे के विकास को पूरी तरह से रोक देता है। पौधे पर सही मात्रा में मोनोक्रोटोफॉस या डाइमेथोएट का छिड़काव करने से पौधे को इस रोग से बचाया जा सकता है।

पाउडरी मिल्ड्यू  

इस प्रकार का रोग मेथी के पौधों पर फफूंद के कारण लगता है। पाउडरी मिल्ड्यू रोग को छाछया रोग के नाम से भी जाना जाता है। जब इस रोग का प्रकोप होता है तो पौधे की पत्तियों पर सफेद धब्बे बन जाते हैं। इस रोग के कारण पौधे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया नहीं कर पाते हैं। इससे पौधे का विकास रुक जाता है। इस रोग की रोकथाम के लिए पौधों पर उचित मात्रा में घुलनशील गंधक या कैराथेन के घोल का छिड़काव करना चाहिए।

बैंगन की खेती कैसे करें

मेथी के पौधों की कटाई, उपज और लाभ

मेथी की पैदावार होने में 130-140 दिन का समय लगता है। जब पौधे की पत्तियां पीली पड़ने लगें तो उनकी कटाई कर लेनी चाहिए। कटाई के बाद पौधों को धूप में अच्छी तरह सुखाना चाहिए। सूखे पौधों से बीज निकालने के लिए मशीनों का प्रयोग किया जाता है। एक हेक्टेयर खेत से लगभग 12 क्विंटल फसल पैदा होती है। बाजार में मेथी के बीज का थोक मूल्य 5,000 रुपये प्रति क्विंटल है, इसलिए किसान एक मेथी की फसल से 50,000 रुपये से अधिक कमा सकते हैं।


Post a Comment

Previous Post Next Post